मल्हम लगाने बोहोत आए, दर्द छुपा सीनेमे
जीलो केह्ते हे सब यहाँ, जलन होता हे जीनेमे
सारे आस्मान भर आए, जस्न चले तारोकी
दिलमे फुल नही खिले, ना चली खुस्बु बहारोकी
सारे जगमे सोचा था, एक फूल मेरे नाम लिखा
क्या पता सबकी नसीबमें नही, हर कोई जो दिखा
अब तो दिया बुझाकर रात कटे, अंधेरोमे मुझे खोने दो
ईतना कुछ तो हो गया, बांकी भी तुम होने दो
अंधेरोमें, अकेलेमें दर्द भुलाकर रोने दो
Friday, January 30, 2009
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